ये अकेलापन जो मैं महसूस कर रही हूँ, क्या उस दुनिया में तुम भी ऐसा ही महसूस कर रही हो म ये अकेलापन जो मैं महसूस कर रही हूँ, क्या उस दुनिया में तुम भी ऐसा ही महसूस कर रह...
जल्दी आओ, मैं यहाँ कब से खड़ा हूँ जल्दी आओ, मैं यहाँ कब से खड़ा हूँ
ऊर्जा से नये नौनिहालों के साथ स्वतंत्र प्रयास आज भी जारी है और निरन्तर । ऊर्जा से नये नौनिहालों के साथ स्वतंत्र प्रयास आज भी जारी है और निरन्तर ।
लेखक : ह्यू लॉफ्टिंग स्वैर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास मुसीबत पे मुसीबत लेखक : ह्यू लॉफ्टिंग स्वैर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास मुसीबत पे मुसीबत
गृह प्रवेश है सबको कुछ न कुछ देना है और लेना भी है सबके पसंद के हिसाब से गृह प्रवेश है सबको कुछ न कुछ देना है और लेना भी है सबके पसंद के हिसाब से
ऐसा प्रियंका नें क्या देखा कि स्तब्ध रह गई ? ऐसा प्रियंका नें क्या देखा कि स्तब्ध रह गई ?